Wednesday 12 July 2017

Hai BrahmGyan Si Nari Bhi...



है ब्रह्म ज्ञान सी नारी भी, उस जैसा कोई महान नही,
जो समझ सके उसके मन को, इस काबिल यह इंसान नही,

सृष्टि का सृजन किया जिसने, उसका उस पर अधिकार नही,
वो श्रेष्ठ है तुझसे ये कहना, तेरे मन को स्वीकार नही,

अपने स्वार्थ की खातिर उसको, तुम कमजोर बनाते हो,
फिर खुद रखवाले बनकर, दुनिया में शान दिखाते हो,

रक्षा के नाम पे वो तेरे, पिंजरे में कैद परिंदा है,
तू देगा तब वो पायेगी ,तेरे रहमो करम पर जिन्दा है,

जो तेरे सूने जीवन में, खुशियों के फूल खिलाती है, 
क्यों किसी पुरानी वस्तू सी, एक कोने में रह जाती है,

दूध पिलाकर जिसने पाला, वो ममतामई माँ प्यासी है,
जो तेरी खुशियों में खुश है, उस मन में घोर उदासी है,

नर के बदले में नारी ने, क्या सांप सपोले पाले हैं 
उसका भक्षण करनेवाले ही, बन बैठे रखवाले हैं,

क्या मोल दिया तूने उसको, उस त्याग,तपस्या,प्यार का,
क्यों हाथ पसारे वो तुझसे, अपने वाजिब अधिकार का,

                            - नीतू ठाकुर 

      IN ENGLISH          


Hai Brahmgyan si nari bhi, Us jaisa koi mahan nahi,
Jo samaz sake uske man ko, Is kabil ye insan nahi,

Shrushti ka srujan kiya jisne, Uska usper adhikar nahi,
Wo shresth hai tuzse yah kahna , Tere man ko swikar nahi,

Apne swarth ki khatir usko, Tum kamjor banate ho,
Fir khud rakhwale banke, Duniya me shan dikhate ho,

Raksha ke nam pe wo tere, Pinjre me kaid parinda hai,
Tu dega tab wo payegi, Tere rahemo karam par jinda hai,

Jo tere sune jivan me, Khushion ke phool khilati hai,
Kyon kisi purani vastu si, Ek kone me rah jati hai,

Doodh pilakar jisne pala, Wo mamta mai maa pyasi hai,
Jo teri khushion me khush hai, Us man me ghor udasi hai,

Nar ke badle me nari ne, Kya sanp sapole pale hai,
Uska bhakshan karnewale hi, Ban baithe rakhwale hai,

Kya mol diya tune usko, Us tyag, tapsya, pyar ka,
Khew hat pasare wo tuzse, Apne wajib adhikar ka,

                         - Nitu Thakur






7 comments:

  1. वाह!बहुत खूब कलम चली..
    सत्य के करीब।
    धन्यवाद

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  2. बहुत खूब नीतू जी. एकदम सटीक व सत्य के करीब है यह रचना. बधाई इस सुंदर सृजन के लिए.

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  3. वाह बहुत खूब नीतू जी
    शानदार भावों का भव्य दर्शन कराती रचना।।

    क्या दोगे तुम और क्यों लेंगें हम
    बस निज अस्तित्व के बल पर
    प्राप्त करेंगे हम
    कर्म ही ऐसे होंगे कि सहज ही सब
    हमारा जो होगा हमे मिलेगा
    मांग कर क्यों ले भीख हम
    हम स्वंय दैय है याचक नही।।
    सुंदर रचना ।

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    Replies
    1. जी बहुत सा आभार सखी।
      आप की उपस्थिति रचना को सार्थकता देती है।

      Delete

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