Sunday 9 July 2017

Firse Chilman Ko Hawaon Ke Hawle Kar de...





फिर से चिलमन को हवाओं के हवाले कर दे,
मेरी बेनूर ज़िंदगी में उजाले कर दे,

भूल पाती नहीं आँखेँ उस हसीन मंजर को,
दिल में उठते हुए चाहत के उस समंदर को,

जब मेरी साँस तेरी जुल्फ से टकराई थी,
कोई सरगम सी फिजाओं में गुनगुनाई थी,

ऐसा महसूस हुआ चाँद सामने है मेरे,
वो हकीकत नहीं जैसे हुस्न की परछाई थी,

जाने कितने ही सितारे चमकते देखे थे,
जब तू हौले से शरमा के मुस्कुराई थी,

तेरी मदमस्त निगहों  ने मुझे देखा था,
जैसे नजरें किसी तूफ़ान से टकराई थी ,

तेरी जुल्फों की महक आज भी आ जाती है,
जब तेरी याद खयालों में डूब जाती है,

अपनी खमोशिओं से कुछ तो इशारे कर दे,
चंद लफ्जों को अपने लब के हवाले कर दे,

                            - नीतू ठाकुर   

IN ENGLISH      


Firse chilman ko hawaon ke hawale kar de,
Meri benoor zindgi me ujale kar de,

Bhool pati nahi anke us hasin manjar ko,
Dil me uthte huye chahat ke us samander ko,

Jab meri saans teri julph se takrai thi,
Koi sargam si fizaon me gungunai thi,

Aisa mahsoos hua chand samne hai mere,
Wo hakikat nahi jaise husn ki parchai thi,

Jane kitne hi sitare chamakte dekhe the,
Jab tu haoule se sharma ke muskurai thi,

Teri madmast nigaho ne muze dekha tha,
Jaise najren kisi tuphan se takrai thi,

Teri julphon ki mahak aaj bhi aajati hai,
Jab teri yad khayalon me doob jati hai,

Apni khamoshion se kuch to ishare kar de,
Chand lafzon ko apne lab ke hawale kar de,

               - Nitu Thakur

6 comments:

  1. वाह्ह्ह् वाहःह
    बहुत ही खूबसूरत रचना

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  2. वाह!!नीतू जी ..बहुत खूबसूरत ।

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार
      आप अपनी प्रतिक्रिया से हमेशा ही मेरा हौसला बढाती हैं

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  3. आपका लेखन गजल/गीतिका की तरह है....
    मात्रा भार के असुंतलन के कारण लय दोष प्रगट होता है,अन्यथा आपकी रचनाओ में शब्द भाव उत्तम कोटि का है ।
    बहुत बहुत बधाई आपको : नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

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  4. मुझे आपका लेखन देखकर मेरे साहित्य से जुड़ने के पहले वाले दिन याद आते हैं । हालांकि मुझे साहित्य की जानकारी हुए व साहित्य से जुड़े हुए 2 वर्ष होने को आये हैं ।

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