हमें खोकर हमीं को याद करना भूल जाओ तुम
मिली है तुमको आजादी सनम अब मुस्कुराओ तुम
बहुत चुभती थी मेरी फिक्र मेरी बेतुकी बातें
नहीं अब रोकनेवाला जश्न इसका मनाओ तुम
तुम्हें हम दे नहीं पाये मुहब्बत के सिवा कुछ भी
रईसों की है अब महफ़िल उन्हें भी आजमाओ तुम
मिटी है बंदिशें तेरी मिटे है तेरे सारे गम
किसी बेगाने की खातिर करो न आँख अपनी नम
कोई पागल दीवाना था समझ कर भूल जाओ तुम
किसी अनजान की खातिर न दिल अपना जलाओ तुम
मेरा क्या है मै जी लूँगा तेरे बिन ज़िंदगी अपनी
तेरी अनमोल है खुशियाँ उन्हें यूँ न लुटाओ तुम
मेरा क्या है मै जी लूँगा तेरे बिन ज़िंदगी अपनी
तेरी अनमोल है खुशियाँ उन्हें यूँ न लुटाओ तुम
- नीतू ठाकुर
IN ENGLISH
Hame kho Kar Hami Ko Yad Karna Bhool Jao Tum
Mili Hai Tumko Azadi Sanam Ab Muskurao Tum
Bahut Chubhti Thi Meri Fikre Meri Betuki Baten
Nahi Ab RokneWala Jashan Iska Mano Tum
Tumhe Ham De Nahi Paye Mohabbat Ke Siwa Kuchbhi
Raison Ki Hai Ab Mahefil Unhe Bhi Ajmao Tum
Miti Hai Bandishe Teri Mite Hai Tere Sare Gam
Kisi Begane Ki Khatir Karo Na Ankh Apni Nam
Koi Pagal Diwana Tha Samaz Kar Bhool Jao Tum
Kisi anjan Ki Khatir Na Dil Apna Jalao Tum
Mera Kya Hai Mai Jee Lunga Tere Bin Zindgi Apni
Teri Anmol Hai Khushiyan Unhe Youn Na Mitao Tum
Mera Kya Hai Mai Jee Lunga Tere Bin Zindgi Apni
Teri Anmol Hai Khushiyan Unhe Youn Na Mitao Tum
- Nitu Thakur
दिल को छू गई.... हर पंक्ति का हर शब्द मन की गहराइयों तक बस गया
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुंदर रचना
आभार
Deleteदिल को छूती बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteनीतू जी!
ReplyDeleteबहुत ही दर्द समेटे है लफ्ज़ लफ्ज़ ये गजल
ज्यों सुलग रहा कोई शोला धीरे धीरे शामो सहर।
बहुत उम्दा गजल।
शुभ संध्या ।
दर्द भरे तंज से मन की वेदना निर्झर सी निसृत हो बह रही है अंतिम पंक्तियाँ तो जानलेवा है | प्रिय नीतू - इस भावपूर्ण रचना पर आपको बधाई |
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteबहुत ही हृदयस्पर्शी.....
ReplyDeleteवाह!!!!
बहुत बहुत आभार
Deleteदर्दभरी रचना। हरेक पंक्ति में तंज है। Relevant.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteप्रेम खुबसूरत है.,पर दर्द भी हजार देता हैं... बहुत सुंदर पर ह्रदय को रुलाती रचना.. ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteआभार
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता।
ReplyDeleteमन की गहराइयों से उपजी एक कोमल रचना।
बहुत बहुत आभार
Deleteवाह वाह 👏 बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteआभार सखी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteनिमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
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ReplyDeleteसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html